राज्य सरकार के कुशल निर्देशन व पारदर्शी व्यवस्था से चीनी उद्योग में 12,000 करोड़ की धनराशि का निवेश प्राप्त

उत्तर प्रदेश के गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने लोक भवन में आयोजित प्रेस वार्ता में प्रेस प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि पुरानी सरकारों द्वारा चीनी उद्योग को भारी क्षति पहुंचाई गई। निगम क्षेत्र की लगभग 21 मिलों को औने-पौने दामों में बेच दिया गया और किसानों के गन्ना उत्पादन को भारी क्षति पहुंचाई गई। इस प्रकिया में वे चीनी मिले भी शामिल कर ली गई जोकि लाभ अर्जित कर रही थीं। इस प्रकार चीनी उद्योग को भारी क्षति पहुंचाई गई। निजी क्षेत्र की चीनी मिलें भी भ्रष्टाचार की शिकार हुई। निजी उद्यमी भय के कारण चीनी मिलों को बंद करने हेतु बाध्य हो गये।
गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार के कुशल निर्देशन व पारदर्शी व्यवस्था से चीनी उद्योग में 12,000 करोड़ की भारी धनराशि का निवेश प्राप्त हुआ है। इसके फलस्वरूप 04 नई मिलें स्थापित हुई और 06 बन्द चीनी मिलों को पुनः संचालित कराया गया है। राज्य में सकारात्मक पहल के कारण 42 चीनी मिलों द्वारा भारी क्षमता विस्तार किया गया, जो लगभग 08 बड़ी नई चीनी मिलों के समान है तथा 02 चीनी मिलों में सी.बी.जी. संयंत्र भी स्थापित किये गये हैं।
एस.जी.के. के माध्यम से पर्ची निर्गमन की पारदर्शी एवं ऑनलाइन व्यवस्थाः वर्ष 2016-17 के पश्चात् राज्य सरकार द्वारा व्याप्त भ्रष्टाचार और अराजकता को समाप्त किया गया है। गन्ना क्षेत्रफल, गन्ना सट्टा, गन्ना कलेण्डरिंग एवं गन्ना पर्ची की ऑनलाइन व्यवस्था हेतु सेन्ट्रलाइज्ड वेब वेरड स्मार्ट गन्ना किसान व्यवस्था विकसित की गई। उत्तर प्रदेश राज्य इस प्रकार की व्यवस्था करने वाला देश में प्रथम राज्य है। भारत सरकार द्वारा भी अन्य राज्यों को यह मॉडल अपनाने हेतु निर्देशित किया गया है।
एथेनॉल उत्पादन में उत्तर प्रदेश राज्य देश में प्रथम स्थान पर है। वर्ष 2017 में एथेनॉल आसवनियों की संख्या 61 थी, जो वर्ष 2025 में बढ़कर 97 हो गई है। प्रदेश सरकार की प्रभावी तथा पारदर्शी नीति के कारण लगभग 04 आसवनियों के प्रस्ताव पाइप लाइन में है। एथेनॉल का उत्पादन 41.28 करोड लीटर से बढ़कर 182 करोड लीटर हो चुका है।
राज्य सरकार के विशेष प्रयासों से गन्ना क्षेत्रफल में लगभग 09 लाख हेक्टेअर की वृद्धि हुई है और वर्ष 2016-17 के मुकाबले 20 लाख हेक्टेअर क्षेत्रफल से बढ़कर 29.51 लाख हेक्टेअर हो गया है। गन्ना क्षेत्रफल की दृष्टि से उत्तर प्रदेश राज्य देश में प्रथम स्थान पर है।
विगत सरकारों की तुलना में सहकारी तथा सार्वजनिक क्षेत्र की चीनी मिलों में भी लगभग रू.1,700 करोड़ की धनराशि निवेशित की है। इस प्रकार प्रदेश में सभी क्षेत्रों की 122 चीनी मिलें वर्तमान में संचालित हैं। संचालित चीनी मिलों की संख्या की दृष्टि से उत्तर प्रदेश राज्य देश में दूसरे स्थान पर है।
गन्ना मूल्य का राज्य सरकार द्वारा रिकॉर्ड भुगतान कराया गया है। वर्ष 2007 से वर्ष 2017 तक रू.1,47,346 करोड़ का भुगतान किया गया, जबकि वर्ष 2017 से अब तक लगभग रू.2,90,225 करोड़ का भुगतान कराया गया जो लगभग रु.1.42,879 करोड़ अधिक है।
वर्तमान सरकार के कार्यकाल में गन्ना मूल्य की दरों में वृद्धिः-
पेराई सत्र 2017-18 में गन्ना मूल्य की दरों में रूपये 10 प्रति कुन्तल की वृद्धि ।
पेराई सत्र 2021-22 में गन्ना मूल्य की दरों में रूपये 25 प्रति कुन्तल की वृद्धि।
पेराई सत्र 2023-24 में गन्ना मूल्य की दरों में रूपये 20 प्रति कुन्तल की वृद्धि ।
पेराई सत्र 2025-26 हेतु गन्ना मूल्य की दरों में रूपये 30 प्रति कुन्तल की वृद्धि प्रस्तावित, नई दरें निम्नानुसार हैं-
अगेती प्रजातियों के लिए रूपये 400 प्रति कुन्तल
सामान्य प्रजातियों के लिए रूपये 390 प्रति कुन्तल ।
उक्त बढ़ोत्तरी से गन्ना किसानों को लगभग रूपये 3,000 करोड़ का अतिरिक्त गन्ना मूल्य भुगतान प्राप्त होगा।



