उत्तर प्रदेश

उत्तराखण्ड महोत्सव अवधी और उत्तराखण्ड की संस्कृति के बेहतर समन्वय का उदाहरण

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत आज यहां ‘उत्तराखण्ड महोत्सव-2025’ में सम्मिलित हुए। उन्होंने ‘उत्तराखण्ड दर्पण स्मारिका’ तथा ‘उत्तराखण्ड महोत्सव कैलेण्डर’ का विमोचन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री और केन्द्रीय मंत्री सहित अन्य गणमान्य महानुभाव ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों का अवलोकन भी किया।

अपने सम्बोधन में केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि यह महोत्सव केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं है, अपितु यह उत्तराखण्ड की आत्मा, उसकी परम्पराओं और लोकानुभूति को संजोए हुए है। दो संस्कृतियों के मिलन का यह कार्यक्रम उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक ऊर्जा को लखनऊ की इस धरती पर जीवित और संजोकर रखने का प्रयास भी है।


केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि यह गर्व का विषय है कि भारत सरकार के अनुरोध पर यूनेस्को ने लखनऊ को भोजन की उत्कृष्ट परम्पराओं का निर्वहन करने वाले शहर (क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी) के रूप में चयनित किया है। इसके लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रदेश सरकार द्वारा डोजियर बनाने तथा उसे सबमिट करने सहित अन्य प्रभावी प्रयास किए गए। मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रदेश के विकास के लिए निरन्तर कार्य किए जा रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने महोत्सव को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में हम सब ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के लिए मिलकर कार्य कर रहे हैं। देश की सुरक्षा और अन्य क्षेत्रों में अपना योगदान देने के लिए जब उत्तराखण्ड के नागरिक कहीं भी कार्य करते हैं, तो अपनी अटूट देशभक्ति से वह स्थानीय संस्कृतियों से समरस हो जाते हैं। उत्तराखण्ड महोत्सव भी अवधी और उत्तराखण्ड की संस्कृति के बेहतर समन्वय का उदाहरण है। अवध के भगवान श्रीराम तथा उत्तराखण्ड के भगवान बद्री विशाल और चारों धाम मिलकर इस महोत्सव की शोभा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह महोत्सव हमारी लोक परम्परा और संस्कृति को जीवन्त बनाए रखने का माध्यम है। यह महोत्सव आज की आपाधापी भरी जिंदगी में लोगों को अपनी लोक कला, लोक गायन और लोक संस्कृति से जोड़ते हैं। यह लोक गीत और लोक कला इतिहास का संरक्षण करते हैं। विदेशी इतिहासकारों ने जानबूझकर भारत के अनेक गौरवशाली क्षणों को हमारे इतिहास में शामिल नहीं किया, लेकिन लोक गायन और लोक कला के माध्यम से वह गाथाएं हमें आज भी देखने और सुनने को प्राप्त होती हैं। यह परम्पराएं हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी के प्रयासों से वर्तमान उत्तराखण्ड का गठन 09 नवम्बर, 2000 को हुआ था। उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पण्डित गोविन्द वल्लभ पंत जी ने प्रदेश के विकास में अपना पूरा योगदान दिया। एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में उन्होंने अपनी सेवाएं देश की स्वतंत्रता के लिए दीं। इसके बाद स्वतंत्र भारत में उन्होंने लम्बे समय तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। पण्डित गोविन्द वल्लभ पंत जी द्वारा प्रदेश के विकास की जो नींव रखी गयी, उसी पर आज के उत्तर प्रदेश का निर्माण हुआ है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में ही स्व0 हेमवती नंदन बहुगुणा तथा स्व0 नारायण दत्त तिवारी का जन्म हुआ। इन्होंने लम्बे समय तक प्रदेश सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य किया। देश के स्वाधीनता आन्दोलन में वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली का स्मरण हर देशवासी करता है। उत्तराखण्ड की स्थापना के बाद यहां की ग्रीष्मकालीन राजधानी को गैरसैण में स्थापित करके वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करने का कार्य इस देवभूमि ने किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सी0डी0एस0) जनरल विपिन रावत उत्तराखण्ड की ही देन हैं। माँ गंगा, माँ यमुना, सरयू जी और शारदा जी इसी क्षेत्र से निकलकर उत्तर प्रदेश की भूमि को उपजाऊ करते हुए सोना उगलने वाली धरती के रूप में बदलने का कार्य करती हैं। इस तरह उत्तराखण्ड की धरती में भक्ति और शक्ति का समन्वय दिखायी देता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें अपनी मातृभूमि और देव भूमि पर गौरव की अनुभूति होनी चाहिए। वहां की लोक कला, परम्पराओं, खानपान और लोक संस्कृति को संरक्षित करने के लिए एक प्लेटफॉर्म देना चाहिए। यही प्रधानमंत्री जी के ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ विजन का भाव है। गजेन्द्र सिंह शेखावत अपने मंत्रालय के माध्यम से इसे नई दिशा देने का कार्य कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड महापरिषद प्रतिवर्ष राष्ट्र, समाज एवं संस्कृति के उत्थान में अपना योगदान देने वाली विभूतियों को उत्तराखण्ड गौरव से सम्मानित करती है। स्वदेशी उत्पादों और आजीविका के क्षेत्र में कार्य करने वाले डॉ0 सुरेश चन्द्र फुलारा, शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रपति पुरस्कार से अलंकृत डॉ0 मंजू बाला, विज्ञान के क्षेत्र में डॉ0 चन्द्रमोहन नौटियाल, रसायन विज्ञान तथा अनुसंधान के क्षेत्र में प्रो0 दीवान सिंह रावत को इस वर्ष उत्तराखण्ड गौरव से सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब उत्तराखण्ड महापरिषद जैसी संस्थाएं देश और समाज के लिए समर्पित भाव से कार्य करने वालों और आज के समय में नवाचार और शोध को बढ़ाने वाले लोगों को सम्मानित करती हैं, तो यह स्वयं संस्था के लिए भी सम्मान का कार्य होता है। इससे नौजवानों को प्रेरणा प्राप्त होती है। हमें अपनी संस्कृति, लोक कला और लोक परम्पराओं को संरक्षित करने वाले उन कलाकारों का भी सम्मान करना चाहिए, जो पुराने वाद्य यंत्रों को नये तरीके से आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 09 नवम्बर को ही वह उत्तराखण्ड महोत्सव में सम्मिलित होना चाहते थे, लेकिन बिहार चुनाव में व्यस्तता के कारण यह सम्भव नहीं हो पाया। आज केन्द्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ उन्हें इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। उत्तराखण्ड महापरिषद अपने कार्यक्रमों में निरन्तरता बनाए रखे और एकजुटता के साथ इन्हें आगे बढ़ाए। अपनी लोक कला, लोक संस्कृति तथा लोक परम्पराओं को आगे बढ़ाने का लाभ पूरे देश को मिलेगा। यह ‘एक भारत श्रेष्ठ’ भारत की सर्वोच्च अभिव्यक्ति होगी।

इस अवसर पर विधायक ओ0पी0 श्रीवास्तव, लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल, पूर्व सांसद रीता बहुगुणा जोशी, मुख्यमंत्री के सलाहकार  अवनीश कुमार अवस्थी, उत्तराखण्ड महापरिषद के अध्यक्ष हरीश चन्द्र पंत सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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